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Saturday, July 29, 2017

* धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये... Dhanya Satguru tapat mahi thand bartaye


योगी योग कराये, ध्यानी ध्यान लगाए ।
तपसी तपस्या करे, व भक्त नाम कमाए ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।

कोई तो धयान बताये, कोई ज्ञान सुनाये ।
कोई पूजा पाठ कराये, कोई जाप जपाये ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।। 

सतगुरू सुरत को शब्द के संग जुड़वाये ।
सूरत-शब्द योग ही नाम कमाई कहलाये ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।

काम क्रोध की अग्नि में जगत जलंदा जाये ।
प्रभू  प्रकट हुए, तपत माहि ठण्ड रखण ताये ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।

                                    - ( कुलदीप सिंह 'इकोभलो' ) 

* रचना तिथि : १०-०३-२००२ , संपादन तिथि : २९-०७-२०१७                 

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