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Sunday, July 16, 2017

* Yo Brahum ka anda khopdi sae ik jhopdi... यो ब्रह्म का अण्डा खोपड़ी सै इक झोपड़ी

यो ब्रह्म का अण्डा खोपड़ी सै इक झोपड़ी ।
झोपड़ी के रहणिया के धोरे माल करोड़ी ।।
करोड़ी माल फिर भी कँगाल आँखे रो पड़ी ।
झल्ला सर पै भारी उठाये ढोहवै टोकरी ।।
माल ख़ज़ाना गुपत छुपत सै माँगै फिरै सै नौकरी ।
माल ढून्ढ  कै मालिक बन देता रह फिर  नौकरी ।।
सुन लो माई-बापू बच्चे छौकरा और छौकरी ।
माल ढूँढ के मालिक बनो सब इसे नोट करी ।


                                       
                                          - ( इकोभलो ) 

       
*  रचना तिथि : १२-०१-२००१,  संपादन तिथि : १६-०७-२०१७   

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