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Tuesday, July 25, 2017

* कुछ ही इन्सान बचे हैं जो इन्सान हैं... Kuchh hee Insaan bachey hain jo insaan hain...

कुछ ही इन्सान बचे हैं जो इन्सान हैं, और हँसते हैं ।
वो पाक जगह  मुबारक है, जहाँ इन्सान बस्ते हैं ।।
इन्सानों की शक्ल में, बहुत कालिये नाग हैं ।
और इन्सानों की शक्ल में ही कालिये काग हैं ।।
ये नाग डँसते तो हैं, पर कभी हँसते नहीं हैं ।
ये काग कौओ कौओ करते हैं हँसते नहीं हैं ।।
कुछ ही इन्सान बचे हैं, जो इन्सान हैं और हँसते हैं ।
वो पाक जगह  मुबारक है, जहाँ इन्सान बस्ते हैं ।।
मनुष्यों की ही कीमत है, बाकि जीव सस्ते हैं । 
वो पवित्र स्थान धन्य है, जहाँ मनुष्य बस्ते हैं ।।
कुछ ही इन्सान बचे हैं, जो इन्सान हैं और हँसते हैं ।
वो पाक जगह  मुबारक है, जहाँ इन्सान बस्ते हैं ।।
                                         
                                                     - ( इकोभलो )


* रचना तिथि : २५-०५-२०१७ , संपादन तिथि : २५-०७-२०१७            

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