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बोलूँ धन धन धन परम सतगुरू ।
श्री-स्वामी धन श्री परम सतगुरू ।। - ( टेक )
तुमरे नाम का सुमिरन रोज़ करूँ ।
सुमिरन ना हो तो नारा ही उच्चारूँ ।।
बोलूँ धन धन धन परम सतगुरू ।।।
तेरा ही आसरा है परम सतगुरू ।।।।
बोलूँ धन धन धन परम सतगुरू ।
श्री-स्वामी धन श्री परम सतगुरू ।।
मैं ना प्रभू तुमरी आरती उतार सकूँ ।
क्योंकि तुम निर-आरत मैं आरत हूँ ।।
मैं आरत क्या आरती उतारूँ या हरूँ ।।।
तूं सर्वस्य आरती हरे परम सतगुरू ।।।।
बोलूँ धन धन धन परम सतगुरू ।
श्री-स्वामी धन श्री परम सतगुरू ।।
मन क्षर है, मैं दूषित मनुष्य हूँ ।
क्षर-दूषन के परे निकलना चाहूँ ।।
मन जीतूँ या ये मन-हरे सतगुरू ।।।
सर्वस्य मनो हरे तूं परम सतगुरू ।।।।
बोलूँ धन धन धन परम सतगुरू ।
श्री-स्वामी धन श्री परम सतगुरू ।।
- ( इकोभलो )
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