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।। सच्चा सुवाद आँखों तक मिलता नहीं । मिले पार मुखड़े के किन्तु भीतर ही ।।
।। कूड़ कामना छोड़ बन सच्चा कामी । सच्चा नाम सिमर ढूँढ सच्चा नामी ।।
।।
।। कूड़ काम पिपासु सुवाद लेता कौड़े । कामणि के लिंग सँग लिंग को जोड़े ।।
।। सच्चा मीठा पा ले जो इन्द्रियाँ छोड़े । और सुरत को शब्द के सँग जोड़े ।।
।।
।। असल में तन को सुवाद आता नहीं । सुवाद-सरूप सुरत को सुवाद आता सही ।।
।। सुरत तन छोड़े तो जड़ तन भाता नहीं । बिना-सुवाद कभी सुवाद आता नहीं ।।
।।
।। - ( इकोभलो )
।।
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* रचना तिथि : २६-१०-१९९८ , संपादन तिथि : १०-०७-२०१७
।। सच्चा सुवाद आँखों तक मिलता नहीं । मिले पार मुखड़े के किन्तु भीतर ही ।।
।। कूड़ कामना छोड़ बन सच्चा कामी । सच्चा नाम सिमर ढूँढ सच्चा नामी ।।
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।। कूड़ काम पिपासु सुवाद लेता कौड़े । कामणि के लिंग सँग लिंग को जोड़े ।।
।। सच्चा मीठा पा ले जो इन्द्रियाँ छोड़े । और सुरत को शब्द के सँग जोड़े ।।
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।। असल में तन को सुवाद आता नहीं । सुवाद-सरूप सुरत को सुवाद आता सही ।।
।। सुरत तन छोड़े तो जड़ तन भाता नहीं । बिना-सुवाद कभी सुवाद आता नहीं ।।
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।। - ( इकोभलो )
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* रचना तिथि : २६-१०-१९९८ , संपादन तिथि : १०-०७-२०१७
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