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सीधा-साधा ही साधू है, और बिगड़ा हुआ तो है शैतान ।
साधू और शैतान के जीने का आधार इक श्री भगवान ।।
सर्वभक्ति एवं ग्यान से सम्पन्न इक ही है और न दूजा कोई ।
सर्वस्य-आधार जो आप निर्आधार है, भगवान कहावे सोई ।।
भ से भक्ति या प्रेम, ग से ग्यान सम्पन्न प्रकाशवान-भगवान ।
प्रेम-प्रकाश ही कमाते कोस्मोपोलिटन-सर्वदेशी भक्त-इन्सान ।।
इन्साँ कोस्मोपोलिटन भक्त लोक उन लोगों को कहते हैं ।
जो पूरे विश्व को एक कुटुम्ब-परिवार समझकर रहते हैं ।।
"वसुधैव कुटुमबकम्" पुरानी-उक्ति को चरित्रार्थ करते हैं ।
"मानुख की जात एको पहचानते हैं" का दम भरते हैं ।।
सन्त उनको कहते हैं जो शान्ति पा गये सन्तुष्टि में रहते हैं ।
पहले इन्सान बनो फिर साधू-सन्त एैसा इन्साँ वाले कहते हैं ।।
- (इकोभलो)
* रचना तिथि : ००-००-२००१, संपादन तिथि : १२-०७-२०१७
सीधा-साधा ही साधू है, और बिगड़ा हुआ तो है शैतान ।
साधू और शैतान के जीने का आधार इक श्री भगवान ।।
सर्वभक्ति एवं ग्यान से सम्पन्न इक ही है और न दूजा कोई ।
सर्वस्य-आधार जो आप निर्आधार है, भगवान कहावे सोई ।।
भ से भक्ति या प्रेम, ग से ग्यान सम्पन्न प्रकाशवान-भगवान ।
प्रेम-प्रकाश ही कमाते कोस्मोपोलिटन-सर्वदेशी भक्त-इन्सान ।।
इन्साँ कोस्मोपोलिटन भक्त लोक उन लोगों को कहते हैं ।
जो पूरे विश्व को एक कुटुम्ब-परिवार समझकर रहते हैं ।।
"वसुधैव कुटुमबकम्" पुरानी-उक्ति को चरित्रार्थ करते हैं ।
"मानुख की जात एको पहचानते हैं" का दम भरते हैं ।।
सन्त उनको कहते हैं जो शान्ति पा गये सन्तुष्टि में रहते हैं ।
पहले इन्सान बनो फिर साधू-सन्त एैसा इन्साँ वाले कहते हैं ।।
- (इकोभलो)
* रचना तिथि : ००-००-२००१, संपादन तिथि : १२-०७-२०१७
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