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Thursday, July 27, 2017

* सतसिख सतगुरु... SAT-SHISH SAT-GURU...


धन धन सतगुरु, वाह गुरु, गुरु वाह वाह ।

गुरु से बड़ा न कोई, जहाँ चाह वहाँ राह ।।

सतसिख को सतगुरु की होती है चाह ।

दिल की दिले-दिमाग को होती है राह ।।


                           - (इकोभलो)



*  रचना तिथि : १३-०६-२००६ 

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