योगी योग कराये, ध्यानी ध्यान लगाए ।
तपसी तपस्या करे, व भक्त नाम कमाए ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।
कोई तो धयान बताये, कोई ज्ञान सुनाये ।
कोई पूजा पाठ कराये, कोई जाप जपाये ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।
सतगुरू सुरत को शब्द के संग जुड़वाये ।
सूरत-शब्द योग ही नाम कमाई कहलाये ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।
काम क्रोध की अग्नि में जगत जलंदा जाये ।
प्रभू प्रकट हुए, तपत माहि ठण्ड रखण ताये ।।
धन्य सतगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।
वाह परमगुरु तपत माहि ठण्ड बरताये ।।
- ( कुलदीप सिंह 'इकोभलो' )
* रचना तिथि : १०-०३-२००२ , संपादन तिथि : २९-०७-२०१७