त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
डंड को त्यागें, पिण्ड को त्यागें, और त्यागें अण्ड ।
अण्ड को त्यागना ही समझो, त्यागना ये ब्रह्मण्ड।।
ब्रह्माण्ड रुपी नदिया के पार ही है सच्चा सचखण्ड ।
सभी मनुष्यों की जजनी भंड है, एक पुरुष अभंड ।।
त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
सचखण्ड वसै निरंकार, जिसका नहीं आकार ।
सचखण्ड है, ब्रह्माण्ड रूपी नदिया के उस पार ।।
भवजल के उस पार, निहचल अटल सरकार ।
ब्रह्माण्ड प्रभू का राष्ट्र है, और पति सतकरतार ।।
त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
भाई रे ना त्याग तू अन्न-जल, ना त्याग तू भंड ।
और ना त्याग तू बच्चे, ना त्याग तू खर्चे-फण्ड ।।
बरत ले तूं बरतन नीका, खोज ज्योति अखण्ड ।
नहीं खोजेगा तो पायेगा , जन्म-मृत्यु का दण्ड ।।
त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
- ( इकोभलो )
* रचना तिथि : ०३-०१-२००१ , संपादन तिथि : २१-०७-२०१७
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
डंड को त्यागें, पिण्ड को त्यागें, और त्यागें अण्ड ।
अण्ड को त्यागना ही समझो, त्यागना ये ब्रह्मण्ड।।
ब्रह्माण्ड रुपी नदिया के पार ही है सच्चा सचखण्ड ।
सभी मनुष्यों की जजनी भंड है, एक पुरुष अभंड ।।
त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
सचखण्ड वसै निरंकार, जिसका नहीं आकार ।
सचखण्ड है, ब्रह्माण्ड रूपी नदिया के उस पार ।।
भवजल के उस पार, निहचल अटल सरकार ।
ब्रह्माण्ड प्रभू का राष्ट्र है, और पति सतकरतार ।।
त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
भाई रे ना त्याग तू अन्न-जल, ना त्याग तू भंड ।
और ना त्याग तू बच्चे, ना त्याग तू खर्चे-फण्ड ।।
बरत ले तूं बरतन नीका, खोज ज्योति अखण्ड ।
नहीं खोजेगा तो पायेगा , जन्म-मृत्यु का दण्ड ।।
त्यागें त्यागन नीका, पायें ज्योति अखण्ड ।
काम क्रोध लोभ मोह त्यागें, त्यागें घमण्ड ।।
- ( इकोभलो )
* रचना तिथि : ०३-०१-२००१ , संपादन तिथि : २१-०७-२०१७