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Friday, August 11, 2017

* प्रेम... Prem

प्रेम प्यार इश्क़ लव मुहब्बत । प्रेम भाव से होती सच्ची इबादत ।।

भक्ति-भाव के  बिन प्रभु पाया है किन । प्रेम-रूप हैं ईश्वर, नहीं हैं प्रेम से भिन्न ।।
प्रेम-भक्ति किये जाओ निश और दिन । प्रेम-जागृति हो उन हृदयों में जो प्रेमहीन ।।

प्रेम प्यार इश्क़ लव मुहब्बत । प्रेम भाव से होती सच्ची इबादत ।।

प्रेम की बँसी, प्रेम की वीणा, प्रेम की बीन । प्रेम से भरा हो आसमां और ये ज़मीन ।।
नीली छतरी देने वाले, हमें छतरी दो नवीन । हे प्रभु आसमाँ लाल करो, हरी हो ज़मीन ।।

प्रेम प्यार इश्क़ लव मुहब्बत । प्रेम भाव से होती सच्ची इबादत ।।

नीली छतरी से ऊब गए, मिले छतरी लाल । हरयाली पर लाली हो, सागर, गगनछत लाल ।।
क्योंकि नीला नहीं, प्रेम का रँग होता है लाल । हृदय परिवर्तन से ही होगा ये जादू कमाल ।।

प्रेम प्यार इश्क़ लव मुहब्बत । प्रेम भाव से होती सच्ची इबादत ।।

                                                                             - ( इकोभलो )

* रचना तिथि : २००५, संपादन तिथि : ११-०८-२०१७                        

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