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Friday, July 7, 2017

* Boojho to maaney Boojhakkad Laal बूझो तो माने... बूझक्कड़ लाल !

एक दिन लालाजी और लालबुझक्कड़ की हुई दिमागी टक्कर !
लाला जी ने सवाल पूछा, तुरन्त  सोचने लगा लालबुझक्कड़ !!
सवाल था लाल कितने हैं, बूझो तो माने बूझक्कड़ लाल
तुम बूझ लोगे तब  ही तुम्हें मानूँगा, ग़ज़ब इंसान-ए-कमाल !!
दिमाग़ मे तोला, फिर बूझक्कड़ बोला . . .  एक है प्यारे लाल !
दूसरा प्रेम लाल, और तीसरा व चौथा, अनोखे व न्यारे लाल !!
पाँचवाँ मुंगेरी लाल, और छठा व सातवाँ, नौरंगी व पन्ना लाल !
आठवाँ भजन लाल, और नौवाँ व दसवाँ, मोती व मुन्ना लाल !!
ग्यारहवाँ राम लाल, और बारहवां व तेरहवाँ, हज़ारी व सोहन लाल !
चौदहवाँ हीरा लाल, और पंद्रहवाँ व सोलहवां, रतन व मोहन लाल !!
सत्रहवाँ सुन्दर लाल, और अठारहवाँ व उन्नीसवाँ, कीमती व जवाहर लाल !
बीसवां बंसी लाल, इक्कीसवाँ व बाईसवाँ, अमृत व मनोहर लाल !!
इतने सारे लालों को , बूझ चुका जब, लालबुझक्कड़ बूझक्कड़ लाल !
तब लालाजी कह उठे, लालबुझक्कड़ बूझक्कड़ लाल, तू है कमाल !!


                                                                     - ( इकोभलो )


* रचना तिथि  : 13-06-2006, संपादन तिथि : १०-०७-२०१७ 

Saturday, July 1, 2017

* Trilokee me rehnaa hee bekaaraa hai " त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है " (Bhajan/Shabda/Geet)

त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है ।

चलो जीव जहाँ देश हमारा है ।

इस त्रिलोकी में नहीं है रहना ।  

मानो सन्त सतगुरु का कहना । 

यहां दुःख के  सिवाए कुछ ना ।

कुछ दिन  ही मोर ने नचना ।
  
त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है ।

चलो जीव जहाँ देश हमारा है ।

खुशियाँ है यहाँ बहुत ही थोड़ी ।

 मौत हुई रोते हैं ज़ोरम ज़ोरी ।

मौत ने छीनी जो माया जोड़ी ।

दुःख बहुत पाया आयु थोड़ी ।

त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है ।

चलो जीव जहाँ देश हमारा है ।

कुलदीप दुखिया सब संसार । 

काल की पड़ती सबको मार ।

अब तो ज़रा मन में विचार ।

आर रहना कि रहना है पार ।

त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है ।

चलो जीव जहाँ देश हमारा है ।

चौथा लोक है तीन से न्यारा ।

सतगुरु ने ये वचन उचारा ।

उसी लोक  में करो गुज़ारा ।

जो सुवर्ग से सुन्दर प्यारा ।

त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है ।

चलो जीव जहाँ देश हमारा है ।

सत देश में हमको है जाना ।

तत जगत मुसाफ़िर खाना ।

सत्संगत में रहो भाई बहना ।

मानो सन्तसत्गुरु का कहना । 

त्रिलोकी में रहना ही बेकारा है ।

चलो जीव जहाँ देश हमारा है ।

                           - (कुलदीप सिंह इकोभलो)
 *  रचना तिथि  : १७-०२-२००१, प्रकाशन तिथि : ०१-०७-२०१७  

* Nanak ' NAAM ' jahaaz hai "नानक नाम जहाज़ है चढ़े सो उतरे पार"

_'मत'_ ... यूं तो अनेकों मत हैं लेकिन यदि इन्हें दो हिस्सों में बाँटें तो एक है 'गुरूमत', और दूसरी इसके बिल्कुल विपरीत प्रकार की मत है 'रूगुमत' ।
_'गुरूमत'_ ... यानि कि उजलि-मत, पाक-रूह की एैसी गौरी उजलि-मत जो कि मैली-मत को हरि के खा जाती है और पचाइके उजलि-मत मेंं रूपान्तरित कर देती है ।
इस रूपान्तरण के साथ ही किसी रोज़ अधिआत्मायें या कैद-रूहें निज़ात-(मुक्ति) को भी पा जाती हैं, यानिकि रूहें इस उजलि-मत-(गौरी-नफ़्स) की 'सोहबत-ओ-मदद' से जिस्म की कैद से छुटकारा भी पा जाती हैं । गुरूमत का सार 'नाम' है, लेकिन किरतम-(कृत्रिम्) नाम नहीं सच-(सत) नाम ही  सार है । और ये स्थूल तत्वों के 'परम्परा एवम् पूर्वला' है । इसलिये ही नाम को जहाज़ कहा जाता है, ये हमें पार उतार देता है, और जिनका 'पार-उतारा' हो गया वे ही परम-सन्त हैं । 'श्री गुरूग्रँथ साहिब' की बाणी कहती है : "नानक नाम जहाज़ है चढ़े सो उतरे पार" ।


                     _'मत'_ को मुख्य-इन्द्रि 'मन' भी कहते हैं... सुन्दर-मन को 'सुमन' भी कहते हैं । इस सुमन का सँग-(साथ) एवम् सहायता पाकर हम छोटे-चेतन (अधिआत्मायें,पँच-तत्वों के अधीन चेतनायें) जब 'नाम-ध्यान' में श्रम करते हैं तो हम उजलिमत-(सुमन) वाली आत्मायें तन के बँधन (जिस्मानी कैद) से छुट जाती हैं । 'श्री गुरूग्रँथ साहिब' की बाणी कहती है :- "जिनि नाम धियाया गये मसकति घाल । नानक ते मुख उजले केति छुटि नाल ।।"
                                                                                                                  - ( इकोभलो )


* रचना तिथि : वर्ष २००१ , संपादन तिथि : ०१ -०७ -२०१७ , प्रकाशन तिथि : ०१-०७-२०१७ 

Monday, November 17, 2014

Who is a Braahman ? and Who is a Sikh ?

मूण्ड मुण्डाने से कोई ब्राह्मण नहीं हो जाता...
... 'ब्राह्मण' सो जो ब्रह्म पहचाने । बाहर जाता भीतर आने ।। 
उसे तरहाँ केश वद्धाण नाल कोई सिक्ख नहीं हो जाँदा... 
...जो कोई वी गुरूआँ पीरां फ़कीराँ दी सिख्या ( शिक्षा ) नूँ अमल (प्रयोग) विच लै आँदा है ओह 'सिक्ख' है... 
...गुरूआँ ने कहेया है माँस-शराब नहीं खावणा-पीवणा... सान्नू इस ते अमल करना चाहिदा है ।
                                                                                                   
                                                        - ( इकोभलो  Icobhalo )


 Kaun BRAHMAN ?

 Kaun SIKH ?

Thursday, November 7, 2013

BOOJHO TO.. KYAA HAI SOUT-O-CHIRAAG DILLEE ?












सारे जहान को रोशन करता है एक चिराग !

चिराग दिल में है वो दिल है दिले-दिमाग !!

चिराग में गैबी सौत है सौत हयात का आब !

आब बनाता बन्दे को आज़ाद मस्ताना साहब !!

                                    - ( ICoBhaLo )

Monday, October 21, 2013

इन्साँ कॉस्मोपोलिटन भक्त लोक नामक पेज...

Note : पाठकगणों मेरा फेसबुक पर एक पेज है... 
... Insaan Cosmopolitan Bhakta Lok 
(इन्साँ कॉस्मोपोलिटन भक्त लोक)... 
...कृप्या इसे भी देखें ।
...इस पेज का पता है :- www.facebook.com/icobhalo

                    
                                  - ( Blogger : Kuldeep Singh ICoBhaLo ) )

Sunday, June 9, 2013

Mai na sher banunga na hi siyar banunga ...मैं ना शेर बनूँगा, ना ही सियार बनूँगा ! (नग़मा)

 _____________________________
मैं ना शेर बनूँगा, ना ही सियार बनूँगा ।
इन्सान की औलाद हूँ, इन्सान ही रहूँगा ।।

..
इन्सान हूँ इन्सान कहूँगा, ना कि भगवान ।
ना मैं रहमान, और ना ही शैतान कहूँगा ।।
इन्सानियत की ख़ातिर सभी ठोकरें सहूँगा ।।।
इन्सान की औलाद हूँ, इन्सान ही रहूँगा ।।।।

..
मैं ना शेर बनूँगा, ना ही सियार बनूँगा ।
इन्सान की औलाद हूँ, इन्सान ही रहूँगा ।।

..
ठुकराओ मुझको, तभी तो मैं 'सुर्खरू' होऊँगा ।
ठुकराने वालों को, इक शायर का शेअर बोलूँगा ।।
कि 'सुर्ख़रू' होता है इन्साँ, ठोकरे खाने के बाद ।।।
रँग लाती है हिना, पत्थर पे घिस जाने के बाद ।।।।

..
मैं ना शेर बनूँगा, ना ही सियार बनूँगा ।
इन्सान की औलाद हूँ, इन्सान ही रहूँगा ।।

..
खुद में संकीर्णता की सभी दीवारे ढ़ाऊँगा ।
हदों को हटा के, सभी को अपना कहूँगा ।।
सीमाओं को मिटाकर कोस्मोपोलिटन बनूँगा ।।।
छाती तानकर नहीं दिल बड़ा करके तनूँगा ।।।।

..
मैं ना शेर बनूँगा, ना ही सियार बनूँगा ।
इन्सान की औलाद हूँ, इन्सान ही रहूँगा ।।

..
ना पँजाब केसरी, ना ही शेरे-पँजाब बनूँगा ।
ना शेरे उत्तर-प्रदेश, हरियाणा दिल्ली कहूँगा ।।
इन्साने-अल्लाह हूँ, इन्साने-अल्लाह रहूँगा ।।।
नर नारायण का हूँ खुद को शेर नहीं कहूँगा ।।।।

..
मैं ना शेर बनूँगा, ना ही सियार बनूँगा ।
इन्सान की औलाद हूँ, इन्सान ही रहूँगा ।।

                                      
      
                                          - ( इकोभलो )
                               - ICoBhaLo )

Thursday, April 11, 2013

JEEVAN MRITYU AVAM JANMA... जीवन मर्त्यु एवम जन्म :-

जीवन व मर्त्यु के अतिरिक्त एक तीसरा शब्द है जन्म ।

जीवन जब मिर्त्यु (5-तत्व) में आता उसे जन्म कहते है ।                                                                     


                                  

                                             ~ इकोभलो ~

एक-सत्व ज़िन्दगी पँच-तत्व मौत...

1-SATVA ZINDAGI 5-TATVA MOUT :-

जगत 5-तत्व है, जीवन 1-सत्व है... जगत में जीवन है (अन्जन माहि निर-अन्जन रहियै) किन्तु जीवन में कुछ नहीं, सब जीवन के उपर ही है । जगत सुख-दुख है, जीवन आनन्द है ।
दोस्तों.. 1-सत् जिन्दगी है और 5-तत् मौत ।
हम मौत के पन्जे में आते हैं तो रोते हैं बहोत ।।

जिन्दगी का असली मज़ा मौत से मुक्ति के बाद ही आता है ।
मोक्ष भी मुक्ति के साथ परछाई की तरह साथ ही रहता है ।।
~इकोभलो~

Regards : Insaan Cosmopolitan Bhakta Lok

Friday, October 7, 2011

RAAM-BRAHUM:-

पाठकों अब  मैं  हिन्दी में ही लिखूंगा…  

RAAM ki paribhasha hai: Rametaa so RAAM , aur haan pretaa so PARAM hota hai. 

Jo Brahum ka ansh Rajsik-maayaa me rama hai vo Rajsik-Raam ya Maharaja-Brahmaa kehlaataa hai (english me G for Generator-Brahmaa)... 

aur jo Brahum ka ansh Satvik maayaa me rama hai usey Satvik-Raam ya Mahasatta-Vishnu kehte hain (english me O for Operator-Vishnu)...

 aur jo Brahum ka ansh Tamsik-maayaa me rama hai usse Mahatama-Shiv kehte hain (english me D for Destroyer-Shiv). 

Sanyukta roop me teeno Rameshvaron (Tri-Devo) ko english me GOD kehte hain.

 

Paathako... ab mai hindi me hee likhungaa kyonki meri english bhasha abhi itnee achhi nahee hai ki mai apni baat sapasht roop se keh sakoon. ... To maine kahaa tha ki agli post me mai RAAM-BRAHUM ke baarey me bataaungaa. RAAM ki paribhasha hai: Rametaa so RAAM , aur haan pretaa so PARAM hota hai. Jo Brahum ka ansh Rajsik-maayaa me rama hai vo Rajsik-Raam ya Maharaja-Brahmaa kehlaataa hai english me G for Generator-Brahmaa aur jo Brahum ka ansh Satvik maayaa me rama hai usse Satvik-Raam ya Mahasatta-Vishnu kehte hain english me O for Operator-Vishnu aur jo Brahum ka ansh Tamsik-maayaa me rama hai usse Mahatama-Shiv kehte hain english me D for Destroyerator-Shiv. Sanyukta roop me teeno Rameshvaron ko english me GOD kehte hain.

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